- अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े को मंदिर निर्माण ट्रस्टमें शामिल करने को कहा
- इस अनुच्छेद केतहत कोर्ट का आदेश तब तक लागू रहता है, जब तक कि कोई और कानून न बना दिया जाए
- सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में भी बाबरी विध्वंस केस को लखनऊ ट्रांसफर करने के लिए अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था
Dainik Bhaskar.
New 09, 2019, 09:10 PM IST
नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट नेशनिवार को अपने फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर मंदिर बनाने के लिए उसे ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया। अदालत ने इस मामले में पक्षकार निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया, लेकिन उसे मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट में शामिल करने को कहा है। इसके लिए कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया। संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के रूप में खास शक्ति प्रदान की है, जिसके तहत किसी व्यक्ति को पूर्ण न्याय देने के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है।
अयोध्या की विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़ा कीदावेदारी खारिज करने के बाद कोर्टने विशिष्ट शक्तियों के तौर पर अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया। 5 जजों की बेंच ने कहा- विवादित जमीन से कई सालों के जुड़ाव और निर्मोही अखाड़े की सक्रिय भूमिका को देखते हुए उसे उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले नए ट्रस्ट में उसे जगह दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने 2017 में भी इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल कर बाबरी विध्वंस केस को रायबरेली से लखनऊ कोर्ट ट्रांसफर किया था।
अनुच्छेद 142 और इसका इस्तेमाल कैसे होता है?
- संविधान की अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट किसी मामले में फैसला सुनाते समय संवैधानिक प्रावधानोंके दायरे में रहते हुए ऐसा आदेश दे सकता है, जो किसी व्यक्ति को न्याय देने के लिए जरूरी हो। ए़डवोकेट विराग गुप्ता के मुताबिक, “किसी खास मामले में न्याय की प्रक्रिया को तार्किक अंजाम तक पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल कर सकता है।”
- इसके तहत अदालत फैसले में ऐसे निर्देश शामिल कर सकती है, जो उसके सामने चल रहे किसी मामले को पूरा करने के लिये जरूरी हों। साथ ही कोर्ट किसी व्यक्ति की मौजूदगी और किसी दस्तावेज की जांच के लिए आदेश दे सकता है। कोर्ट अवमानना और सजा को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाने का निर्देश भी दे सकता है। शीर्ष अदालत का आदेश तब तक प्रभावी रहता है, जब तक उस मामले में कोई अन्य कानून लागू नहीं किया जाता। पहले भी कई बार अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल हुआ सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित ढांचा ढहाने के मामले को 2017 में रायबरेली से लखनऊ की विशेष अदालत में ट्रांसफर करने के लिए भी अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य आरोपी थे।दो साल बाद इसी से जुड़े अयोध्या जमीन विवाद मामले में यह धारा इस्तेमाल की गई। इससे पहले भोपाल गैस त्रासदी मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पीड़ितों के लिए मुआवजे के ऐलान के बाद इसका इस्तेमाल किया था। जेपी समूह और घर खरीदने वालों के केस और एक शादी के मामले में भी कोर्ट इसका इस्तेमाल कर चुका है।